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Lyrics
किसी को दे के दिल कोई
नवा संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
न हो जब दिल ही सीने में
तो फिर मुँह में ज़ुबाँ क्यूँ हो

वफ़ा कैसी, कहाँ का इश्क़
जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर, ऐ संग-दिल
तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो
यही है आज़माना, तो
सताना किसको कहते हैं
अदू के हो लिये जब तुम
तो मेरा इम्तिहाँ क्यूँ हो
क़फ़स में, मुझसे रूदाद-ए-चमन
कहते न डर, हमदम
गिरी है जिसपे कल बिजली
वो मेरा आशियाँ क्यूँ हो

WRITERS

JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB

PUBLISHERS

Lyrics © Royalty Network

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