हक़ीक़त ईमान बैठे थे पत्थर के फूलों को
खूबसूरत थे लेकिन खुशबू नहीं आती थी
आज उनकी वजह से जान देने को दिल है
जिनको देख कर जान यह जाती थी
ईमान वे तू ता ऐतबार दे काबिल नहीं
नफ़रत करो मुझसे मैं प्यार के काबिल नहीं
रौशनी में हो कर अंधेरों में रह गए
तेरे बाद भी तेरे ही रह गए
रौशनी में हो कर अंधेरों में रह गए
तेरे बाद भी तेरे ही रह गए
WRITERS
Aditya Singh, Govind Thampi, Kabir Sharma, Ujjwal Mundhra